गुरुवार, 26 अगस्त 2010

अल्लाह तआला ने रसूलों को किस लिये भेजा? इस्लामी अकीदे से जुडें कुछ सवाल भाग - 2 Islam, Allah, Muslim, Jihad, Namaz, Pray

पिछ्ले भाग - 1 से जारी....

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सवाल :-  अल्लाह तआला ने रसूलों को किस लिये भेजा?

जवाब :- अपनी इबादत की तरफ़ बुलाने और शिर्क से बचाने के लिये ।

कुरआन से दलील :- और हमनें हर उम्मत में रसूल भेजा इस पैगाम के साथ कि सिर्फ़ अल्लाह की पूजा करो
                                 और शिर्क से बचो  | (सूरह नहल - सू. 16 : आ. 36)

हदीस से दलील :-  तमाम नबी आपस में भाई हैं और उनका दीन एक है । (मुत्तफ़क अलैह)

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सवाल :-     तौहीद किसे कहते है?


जवाब :-   अल्लाह तआला के लिये तमाम इबादतों को खास कर देना जैसे दुआ, कुरबानी वगैरह ।

कुरआन से दलील :-  पस अच्छी तरह जान लो कि बेशक अल्लाह के सिवा कोई हकीकी और सच्चा
                                  माबूद नहीं। (सूरह मुहम्मद सू. 47. : आ. 19)

हदीस से दलील :-  सबसे पहले तुम लोगों को इस बात की दावत दो कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के
                               लायक नहीं । (मुत्तफ़क अलैह)

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सवाल :-     लाइलाहा इल्लल्लाह का मतलब क्या है?

जवाब :-    अल्लाह के सिवा कोई हकीकी और सच्चा इबादत के लायक नहीं ।

कुरआन से दलील :- यह सब इस वजह से हैं कि अल्लाह हक हैं और उसके सिवा जिन जिन को पुकारते हैं सब
                                 बातिल (झुठे) हैं |  (सूरह लुकमान सू. 31 : आ. 30)

हदीस से दलील :-  जिसने लाइलाहा इल्लल्लाह पढ लिया और अल्लाह के सिवा तमाम झूठे खुदाओं का
                               इन्कार किया तो उसका माल और जान महफ़ूज़ हो गया ।

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सवाल :- तौहिद फ़िस्सिफ़ात का क्या मतलब है?

जवाब :- अल्लाह तआला की खूबीयों को बगैर किसी तावील व मिसाल के साबित करना ।

कुरआन से दलील :- उस जैसी कोई चीज़ नहीं और वह सुनने वाला और देखने वाला है । ( सूरह शूरा सू. 42 :
                                  आ. 11)
हदीस से दलील :-  अल्लाह तआला हर रात दुनिया के आसमान पर उतरता है, उस तरह जो अल्लाह के
                                शायाने शान है । (मुस्लिम)

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सवाल :- मुस्लिम को तौहिद से क्या फ़ायदा है?

जवाब :- दुनिया में हिदायत, दिल का सुकून और आखिरत में अल्लाह के अज़ाब से छुटकारा ।

कुरआन से दलील :- वह लोग जो ईमान लाये और उन्होने अपने ईमान के साथ शिर्क को नहीं मिलाया ऐसों के
                                  लिये अमन हैं और वही हिदायत पाये हुऐ हैं । (सूरह अन्आम सू. 6. : आ. 82)

हदीस से दलील :- अल्लाह पर बन्दों का यह हक है कि वह उसको अज़ाब न दे जो उसके साथ किसी को शरीक
                              नहीं करता । (मुत्तफ़क अलैह)

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सवाल :- अल्लाह तआला कहां हैं?

जवाब :- अल्लाह तआला आसमान के ऊपर अर्श (सबसे ऊंची जगह) पर है।

कुरआन से दलील :- रहमान अर्श पर मुस्तवी हुआ । (सूरह ताहा सू. 20 : आ. 46)

हदीस से दलील :-  बेशक अल्लाह ने एक किताब लिखी, जो उसके पास अर्श के ऊपर है। (मुत्तफ़क अलैह)

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सवाल :- क्या अल्लाह हमारे साथ अपनी ज़ात के साथ है या इल्म के साथ?

जवाब :- अल्लाह तआला सुनने, देखने और इल्म के एतबार से हमारे साथ है।

कुरआन से दलील :- अल्लाह ने कहा तुम दोनों मत डरो बेशक मैं तुम दोनों के साथ हूं, सुनता और देखता हूं ।
                                 (सूरह ताहा सू. 20 : आ. 46)

हदीस से दलील :- बेशक तुम सुनने वाले करीब को पुकारते हो और वह तुम्हारे साथ होता है। यानि इल्म के
                              एत्बार से । (मुस्लिम)

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सवाल :- सबसे बडा गुनाह कौन सा है?

जवाब :- सबसे बडा गुनाह शिर्क अकबर (बडा शिर्क) है।

कुरआन से दलील :- ऐ मेरे बेटे अल्लाह के साथ शिर्क मत करना इसलिये कि शिर्क बहुत बडा ज़ुल्म है।
                                  (सूरह लुकमान सू. 31 : आ. )

हदीस से दलील :- आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से पूछा गया कौन सा गुनाह सबसे बडा है? तो आप ने
                               फ़रमाया..... यह कि तुम अल्लाह के साथ शरीक ठहराओ।

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सवाल :- शिर्क अकबर किसे कहते हैं?

जवाब :- अल्लाह के अलावा किसी की इबाद्त को शिर्क कहते हैं जैसे गैर अल्लाह को पुकारना।

कुरआन से दलील :- कह दो बेशक मैं तो अल्लाह ही को पुकारता हूं और उसके साथ मैं किसी को शरीक नहीं
                                 करता । (सूरह जिन्न सू. : आ.)

हदीस से दलील :- हालंकि उसने तुमको पैदा किया है। (मुत्तफ़क अलैह) सबसे बडा गुनाह अल्लाह के साथ
                              शिर्क करना है। (बुखारी)

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सवाल :- क्या मौजुदा दौर के कलमा पढ्ने वाले मुसलमानों में भी शिर्क पाया जाता हैं?

जवाब :- हां अफ़सोस सद अफ़सोस कलमा पढने वाले मुसलमानों में शिर्क बकसरत मौजुद है।

कुरआन से दलील :- और उनमें से बहुत से अल्लाह पर ईमान लाने के साथ साथ शिर्क भी करते है।
                                  (सूरह यूसुफ़ सू. 12. : आ. 106)

हदीस से दलील :- कयामत नहीं कायम होगी यहां तक कि मेरी उम्मत के कुछ कबीले मुशरिकों से जा मिलेंगे
                             और बुतों की इबादत करने लगेंगे। (तिर्मिज़ी)

क्रमश: अगले भाग में जारी


अल्लाह हमें और आपको कुरआन, हदीस पढने, समझने और उस पर अमल करने की तौफ़ीफ़ अता फ़रमायें

आमीन, सुम्मा आमीन


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6 टिप्‍पणियां:

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