पिछ्ले भाग - 1, भाग - 2 से जारी....
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सवाल :- गैर अल्लाह जैसे औलिया वगैरह को पुकारना कैसा है?
जवाब :- गैर अल्लाह को पुकारना शिर्क अकबर है और ऐसा शख्स जहन्नम में दाखिल किया जायेगा ।
कुरआन से दलील :- पस अल्लाह के साथ किसी और को मत पुकारना वर्ना तू अज़ाब पाने वालों में से हो
जायेगा । (सूरह शौरा सू. : आ.)
हदीस से दलील :- जो मरा और अल्लाह के अलावा किसी शरीक को पुकारत था तो जहन्नम में दाखिल होगा।
(बुखारी)
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सवाल :- क्या दुआ करना अल्लाह की इबादत हैं?
जवाब :- हां दुआ करना अल्लाह की इबादत हैं?
कुरआन से दलील :- और तुम्हारे रब का यह फ़रमान है कि मुझसे दुआ करो मैं तुम्हारी दुआओं को कुबूल
करुंगा । (सूरह गाफ़िर )
हदीस से दलील :- दुआ ही इबादत हैं। (तिर्मिज़ी)
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सवाल:- क्या मुर्द्र हमारी पुकार और दुआऐं सुनते हैं?
जवाब :- मुर्द्द उसे नहीं सुनते।
कुरआन से दलील :- बेशक आप मुर्दों को नहीं सुना सकते। (सूरह नमल सू. : आ. 80)
हदीस से दलील :- बेशक अल्लाह के कुछ फ़रिश्ते ज़मीन में घूमते फ़िरते हैं जो मुझ तक मेरी उम्मत का
सलाम पहुंचाते हैं। (अहमद)
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सवाल :- क्या हम मुर्दों या गायब ज़िन्दों से कोई मांग या फ़रियाद कर सकते हैं?
जवाब :- मुर्दों से नहीं बल्कि अल्लाह तआला से मांग व फ़रियाद कीजिये जो हमेशा ज़िन्दा रहने वाला हैं ।
कुरआन से दलील :- जब तुम अपने रब से मांग व फ़रियाद कर रहे थे तो उसने तुम्हारी मांग व फ़रियाद पूरी
की । (सूरह इन्फ़ाल)
हदीस से दलील :- ऐ हमेशा ज़िन्दा रहने वाले मैं तेरी रहमत के वास्ते से मांग व फ़रियाद करता हूं।
(तिर्मिज़ी)
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सवाल :- क्या गैर अल्लाह से मदद मांगना जाइज़ हैं?
जवाब :- मदद मांगना सिर्फ़ अल्लाह से जाइज़ है।
कुरआन से दलील :- हम सिर्फ़ तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ से ही मदद मांगते है |
( सूरह फ़ातिहा सू. 1 : आ. 5)
हदीस से दलील :- जब मांगो तो अल्लाह ही से मांगो और जब मदद चाहो तो अल्लाह ही से मदद चाहो।
(तिर्मिज़ी)
20
सवाल :- क्या हाज़िर और ज़िन्दा इन्सानों से मदद मांगना जाइज़ है?
जवाब :- हां उन कामों में उनसे मदद मांग सकते हैं जिसको वह करने की ताकत रखते हैं?
कुरआन से दलील :- नेकी और परहेज़गारी में एक-दुसरे की मदद करते रहो। (सूरह मायदा सू. 5 : आ. 2)
हदीस से दलील :- और अल्लाह बन्दे की मदद में रहता है जब तक बन्दा अपने भाई की मदद में होता है।
(मुस्लिम)
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सवाल :- क्या गैर अल्लाह के लिये नज़र व नियाज़ मानना जाइज़ है?
जवाब :- नज़र व नियाज़ सिर्फ़ अल्लाह के लिये जाइज़ है और किसी के लिये नहीं।
कुरआन से दलील :- ऐ मेरे रब! जो कुछ मेरे पेट में है उसे मैंने तेरे नाम आज़ाद करने की नज़र मानी है।
(सूरह आले इमरान सू. 3 : आ. 35)
हदीस से दलील :- जिसने अल्लाह की इताअत की नज़र मानी तो वह अल्लाह की इताअत करे और जिसने
अल्लाह की नाफ़रमानी की नज़र मानी तो वह उसकी नाफ़रमानी न करे। (बुखारी)
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सवाल :- गैर अल्लाह के लिये जानवर ज़िबह करने का क्या हुक्म है?
जवाब :- गैर अल्लाह के लिये जानवर ज़िबह करना शिर्क है।
कुरआन से दलील :- लिहाज़ा अपने रब के लिये नमाज़ पढ और कुरबानी कर। (सूरह कौसर सू. 108 : आ. 2)
हदीस से दलील :- अल्लाह तआला की लानत हो उस पर जो गैंर अल्लाह के लिये ज़िबह करे। (मुस्लिम)
क्रमश: अगले भाग में जारी
अल्लाह हमें और आपको कुरआन, हदीस पढने, समझने और उस पर अमल करने की तौफ़ीफ़ अता फ़रमायें|
आमीन, सुम्मा आमीन
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