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सवाल :- अल्लाह तआला ने रसूलों को किस लिये भेजा?
जवाब :- अपनी इबादत की तरफ़ बुलाने और शिर्क से बचाने के लिये ।
कुरआन से दलील :- और हमनें हर उम्मत में रसूल भेजा इस पैगाम के साथ कि सिर्फ़ अल्लाह की पूजा करो
और शिर्क से बचो | (सूरह नहल - सू. 16 : आ. 36)
हदीस से दलील :- तमाम नबी आपस में भाई हैं और उनका दीन एक है । (मुत्तफ़क अलैह)
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सवाल :- तौहीद किसे कहते है?
जवाब :- अल्लाह तआला के लिये तमाम इबादतों को खास कर देना जैसे दुआ, कुरबानी वगैरह ।
कुरआन से दलील :- पस अच्छी तरह जान लो कि बेशक अल्लाह के सिवा कोई हकीकी और सच्चा
माबूद नहीं। (सूरह मुहम्मद सू. 47. : आ. 19)
हदीस से दलील :- सबसे पहले तुम लोगों को इस बात की दावत दो कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के
लायक नहीं । (मुत्तफ़क अलैह)
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सवाल :- लाइलाहा इल्लल्लाह का मतलब क्या है?
जवाब :- अल्लाह के सिवा कोई हकीकी और सच्चा इबादत के लायक नहीं ।
कुरआन से दलील :- यह सब इस वजह से हैं कि अल्लाह हक हैं और उसके सिवा जिन जिन को पुकारते हैं सब
बातिल (झुठे) हैं | (सूरह लुकमान सू. 31 : आ. 30)
हदीस से दलील :- जिसने लाइलाहा इल्लल्लाह पढ लिया और अल्लाह के सिवा तमाम झूठे खुदाओं का
इन्कार किया तो उसका माल और जान महफ़ूज़ हो गया ।
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सवाल :- तौहिद फ़िस्सिफ़ात का क्या मतलब है?
जवाब :- अल्लाह तआला की खूबीयों को बगैर किसी तावील व मिसाल के साबित करना ।
कुरआन से दलील :- उस जैसी कोई चीज़ नहीं और वह सुनने वाला और देखने वाला है । ( सूरह शूरा सू. 42 :
आ. 11)
हदीस से दलील :- अल्लाह तआला हर रात दुनिया के आसमान पर उतरता है, उस तरह जो अल्लाह के
शायाने शान है । (मुस्लिम)
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सवाल :- मुस्लिम को तौहिद से क्या फ़ायदा है?
जवाब :- दुनिया में हिदायत, दिल का सुकून और आखिरत में अल्लाह के अज़ाब से छुटकारा ।
कुरआन से दलील :- वह लोग जो ईमान लाये और उन्होने अपने ईमान के साथ शिर्क को नहीं मिलाया ऐसों के
लिये अमन हैं और वही हिदायत पाये हुऐ हैं । (सूरह अन्आम सू. 6. : आ. 82)
हदीस से दलील :- अल्लाह पर बन्दों का यह हक है कि वह उसको अज़ाब न दे जो उसके साथ किसी को शरीक
नहीं करता । (मुत्तफ़क अलैह)
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सवाल :- अल्लाह तआला कहां हैं?
जवाब :- अल्लाह तआला आसमान के ऊपर अर्श (सबसे ऊंची जगह) पर है।
कुरआन से दलील :- रहमान अर्श पर मुस्तवी हुआ । (सूरह ताहा सू. 20 : आ. 46)
हदीस से दलील :- बेशक अल्लाह ने एक किताब लिखी, जो उसके पास अर्श के ऊपर है। (मुत्तफ़क अलैह)
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सवाल :- क्या अल्लाह हमारे साथ अपनी ज़ात के साथ है या इल्म के साथ?
जवाब :- अल्लाह तआला सुनने, देखने और इल्म के एतबार से हमारे साथ है।
कुरआन से दलील :- अल्लाह ने कहा तुम दोनों मत डरो बेशक मैं तुम दोनों के साथ हूं, सुनता और देखता हूं ।
(सूरह ताहा सू. 20 : आ. 46)
हदीस से दलील :- बेशक तुम सुनने वाले करीब को पुकारते हो और वह तुम्हारे साथ होता है। यानि इल्म के
एत्बार से । (मुस्लिम)
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सवाल :- सबसे बडा गुनाह कौन सा है?
जवाब :- सबसे बडा गुनाह शिर्क अकबर (बडा शिर्क) है।
कुरआन से दलील :- ऐ मेरे बेटे अल्लाह के साथ शिर्क मत करना इसलिये कि शिर्क बहुत बडा ज़ुल्म है।
(सूरह लुकमान सू. 31 : आ. )
हदीस से दलील :- आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से पूछा गया कौन सा गुनाह सबसे बडा है? तो आप ने
फ़रमाया..... यह कि तुम अल्लाह के साथ शरीक ठहराओ।
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सवाल :- शिर्क अकबर किसे कहते हैं?
जवाब :- अल्लाह के अलावा किसी की इबाद्त को शिर्क कहते हैं जैसे गैर अल्लाह को पुकारना।
कुरआन से दलील :- कह दो बेशक मैं तो अल्लाह ही को पुकारता हूं और उसके साथ मैं किसी को शरीक नहीं
करता । (सूरह जिन्न सू. : आ.)
हदीस से दलील :- हालंकि उसने तुमको पैदा किया है। (मुत्तफ़क अलैह) सबसे बडा गुनाह अल्लाह के साथ
शिर्क करना है। (बुखारी)
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सवाल :- क्या मौजुदा दौर के कलमा पढ्ने वाले मुसलमानों में भी शिर्क पाया जाता हैं?
जवाब :- हां अफ़सोस सद अफ़सोस कलमा पढने वाले मुसलमानों में शिर्क बकसरत मौजुद है।
कुरआन से दलील :- और उनमें से बहुत से अल्लाह पर ईमान लाने के साथ साथ शिर्क भी करते है।
(सूरह यूसुफ़ सू. 12. : आ. 106)
हदीस से दलील :- कयामत नहीं कायम होगी यहां तक कि मेरी उम्मत के कुछ कबीले मुशरिकों से जा मिलेंगे
और बुतों की इबादत करने लगेंगे। (तिर्मिज़ी)
क्रमश: अगले भाग में जारी
अल्लाह हमें और आपको कुरआन, हदीस पढने, समझने और उस पर अमल करने की तौफ़ीफ़ अता फ़रमायें
आमीन, सुम्मा आमीन
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बेहतरीन जानकारी!
जवाब देंहटाएंBahut achhi jaankari mili.. bahut se shabdon ka hindi mein anuvaad kar jaankari hasil ki...
जवाब देंहटाएंJankari ke liye sukriya
Plz elobrate it?
जवाब देंहटाएंमौजुदा दौर के कलमा पढ्ने वाले मुसलमानों में भी शिर्क पाया जाता example de?
जवाब देंहटाएंहा पाया जाता है
हटाएंसुबहानअल्लाह अलहम्दुलिल्लाह।
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