सोमवार, 21 सितंबर 2009

सब हिन्दी ब्लोग्गर्स को ईद-उल-फ़ितर की दिली मुबारकबाद..!!! Happy Eid-Ul-Fitr To ALL Hindi Blogger's

 आज ईद-उल-फ़ितर है! "आप सब हिन्दी ब्लोग्गर्स को ईद-उल-फ़ितर की दिली मुबारकबाद"

रमज़ान के पाक महीने में रोज़े का तप करने के बाद आज सारे मुसलमानों को उनके रोज़ों और इबादत का सवाब मिलेगा। अल्लाह ने वादा किया है "कि मैं ईद-उल-फ़ितर के दिन रमज़ान के महीने में की गयी हर इबादत का अज़्र ईदगाह में दुंगा।"

लोग अपने घर की औरतों को ईदगाह में नही ले जाते है कहते है की "औरतों का मस्जिद में जाना मना है" लेकिन "उन्हे ईदगाह ले जाना चाहिये क्यौंकि रोज़े उन्होने भी रखें है और उन्हें भी अपने रोज़ो का अज्र लेने का हक है।" मुस्लमान वो भी है, नमाज़ उन पर भी फ़र्ज़ है और मस्जिद नमाज़ पढने की जगह है तो औरतों वो मस्जिद में नमाज़ पढने से कोई नही रोक सकता है। 






ज़्यादा जानकारी और हदीसों के लिये मेरा ये लेख पढें 


"इस तस्वीर में आप देख सकते है की ये औरतें ईद की नमाज़ अता कर रही है" (ये तस्वीर कहां की है मुझे इसकी जानकारी नही मिल सकी उसके लिये माफ़ी चाहता हूं) 




मुसलमानों जिस तरह ये महीना आपने तकवे और परहेज़गारी से गुज़ारा है इस तकवे और परहेज़गारी को आगे भी जारी रखें। अकसर आम दिनों में मौलवी शिकायत करते हैं की "नमाज़ के वक्त मस्जिदें खाली रहती है।" माशाल्लाह रमज़ान के दिनों में मस्जिदों में पैर रखने की जगह नही होती है और हर साल की तरह इस साल भी यही आलम था "मेरी सारे मुसलमानों से गुज़ारिश है की नमाज़ की पाबंदी को बनाये रखें और हमारी मस्जिदों को आबाद रखें, एक दुसरे को नमाज़ के लिये बुलायें, घर से या दुकान से जब नमाज़ के लिये निकलें तो अपने पडोसी, अपने दोस्त, अपने कारोबारी को नमाज़ के लिये बुलायें।"




अल्लाह आप सबकी ज़कात, सदका, रोज़े, नमाज़ और इबादत को कुबुल करें और आपको साबित ईमान रखें।

अल्लाह आप सबको कुरआन और हदीस को पढकर, सुनकर, उसको समझने की और उस पर अमल करने की तौफ़िक अता फ़र्मायें।

आमीन, सुम्मा आमीन




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रविवार, 20 सितंबर 2009

"फ़ितरा" क्या है?? "फ़ितरा" कब देना चाहिये??? What Is Fitra?? When You Can Give Fitra??

आज रमज़ान का २९वां रोज़ा था... ०६ : ४५ हो चुके है अभी चांद की कोई खबर नही आयी है..। देखते है की कब खबर आती है। ईद का चांद दिखने के बाद "फ़ितरा" दिया जाता है..जिसकी वजह से इस ईद को ईद-उल-फ़ितर कहते है।

कुछ हिन्दु इसे पितरों की ईद कहते है....पढे ये लेख...

अकसर लोग सवाल करते है की फ़ितरा कितना देना चाहिये?? फ़ितरा कब निकालना चाहिये?? फ़ितरा किस-किस पर फ़र्ज़ है???

फ़ितरा क्या है??

फ़ितरा रमज़ान के रोज़े पुरे होने के बाद यानि ईद का चांद दिखने के बाद दिया जाता है। ये एक तरह का सदका (दान) है जो हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है चाहे वो बच्चा हो, बुढा हो, औरत हो या लडकी हो। हर मुसलमान को हर हाल में फ़ितरा देना चाहिये।

शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

ज़कात किसको देनी चाहिये?? Who deserve your "Zakaat"???

 रमज़ान का आखिरी अशरा (हिस्सा) चल रहा है इस अशरे में सब मुसलमान अपनी साल भर की कमाई की ज़कात निकालते है। ज़कात क्या है??? कुरआन मजीद में अल्लाह ने फ़र्माया है :- "ज़कात तुम्हारी कमाई में गरीबों और मिस्कीनों का हक है।" ज़कात कितनी निकालनी चाहिये ये काफ़ी बडा मुद्दा है इस मसले पर बहुत सारे इख्तिलाफ़ है, कोई इन्सान कुछ कहता है और कुछ कहता है| इस मसले पर हम विस्तार से बाद में बात करेंगे।

ज़कात निकालने के बाद सबसे बडा जो मसला आता है वो है कि ज़कात किसको दी जाये???

ज़कात देते वक्त इस चीज़ का ख्याल रखें की ज़कात उसको ही मिलनी चाहिये जिसको उसकी सबसे ज़्यादा ज़रुरत हो...वो शख्स जिसकी आमदनी कम हो और उसका खर्चा ज़्यादा हो। अल्लाह ने इसके लिये कुछ पैमाने और औहदे तय किये है जिसके हिसाब से आपको अपनी ज़कात देनी चाहिये। इनके अलावा और जगहें भी बतायी गयी है जहां आप ज़कात के पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं।


सबसे पहले ज़कात का हकदार है :- "फ़कीर"

फ़कीर कौन है??   फ़कीर वो शख्स है जिसकी आमदनी 10,000/- रुपये सालाना है और उसका खर्च 21,000/- रुपये सालाना है यानि वो शख्स जिसकी आमदनी अपने कुल खर्च से आधी से भी कम है तो इस शख्स की आप ज़कात 11,000/- रुपये से मदद कर सकते है।

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

शबे-बारात क्या है? शबे- बारात की हकीकत?? What Is Shabe-Baarat?? Reality Of Shabe-Baaraat??

(अपडेट 17 सितम्बर  2009 02 : 00 PM :- इस लेख में मैनें उर्दु अलफ़ाज़ों का बहुत इस्तेमाल किया था तो दिनेशराय जी ने इसको ना समझ पाने की शिकायत की इसलिये मैं आम हिन्दी अफ़ाज़ों का इस्तेमाल कर रहा हूं)

अभी कुछ दिनों पहले पन्द्रह शअबान को पुरे हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में बडे ज़ोर शोर से शबे-बारात मनायी गयी थी। ये त्योहार सारे मुसलमान बहुत धुम-धाम से मनाते है। इस त्योहार को कुछ हिन्दु शिव की बारात से मिलाते हैं पढें सुरेश चिपलूनकर द्वारा लिखा गया ये लेख।


आज मैं आप लोगो को शबे-बारात की हकीकत बताने जा रहा हूं।


"शबे-बारात की हकीकत"
 "पन्द्र्ह शअबान की हकीकत"

 (याद रहे बिदअत गुनाहे कबीरा (सबसे बडा गुनाह) है। बिदअत से शैतान खुश होता है और अल्लाह की नाराज़गी हासिल होती है। बिदअत का रास्ता जहन्नुम की तरफ़ जाता है। लिहाज़ा तमाम मुसलमानों को बिदआत से बचना चाहिये।)

१) पन्द्र्ह शाबान को लोग "शबे-बारात" मान कर जगह-जगह, चौराहों, गली-कूचों में मजलिसें जमातें और झूठी रिवायात ब्यान करके पन्द्र्ह शअबान की बडी अहमियत और फ़ज़ीलत बताते हैं।

२) मस्जिदों, खानकाहों वगैरा में जमा होकर या आमतौर से सलातुल उमरी सौ रकआत (उमरी सौ रकआत), नमाज़ सलाते रगाइब (रगाइब की नमाज़), सलातुल अलफ़िआ (हज़ारी नमाज़) सलते गोसिया (शेख अब्दुल कादिर जिलानी रह०) के नाम की नमाज़ अदा करते हैं।

३) पन्द्रह शअबान की रात को "ईदुल अम्वात" (मुर्दों की ईद) समझ कर मुर्दों की रुहों का ज़मीन पर आने का इन्तिज़ार करते हैं।

सोमवार, 7 सितंबर 2009

क्या औरतें मस्जिद में नमाज़ पढ सकती हैं??. Can Woman's Obey Namaz In Mosque???

ये सवाल आजकल काफ़ी ज़ोर शोर से पुछा जाता है कि "क्या औरतें मस्जिद में नमाज़ पढ सकती है??"

मुझ से भी कई लोग ई-मेल करके ये सवाल कर चुके है...

आज हिन्दुस्तान में कई मसलक के मुसलमान रहते है जैसे :- हनाफ़ि, बरेलवी, अहले-हदीस, वगैरह। हिन्दुस्तान में मौजुद इन मसलकों में से सिर्फ़ अहले-हदीस मसलक के लोगों के यहां की औरतें ही मस्जिद में नमाज़ पढती है। ये लोग अपनी औरतों को ईद-उल-फ़ितर और ईद-उल-अज़हा की मौके पर ईदगाह में भी ले जाते है ताकि औरतें भी ईद की नमाज़ पढ सकें। ईदगाह में इमाम के पीछे सारे मर्द सफ़ (पंक्ति) बनाकर नमाज़ पढते है और उनके पीछे एक परदा पडा होता जिसके पीछे औरतें नमाज़ पढती है।
इस वजह से अहले-ह्दीस मसलक के लोगों को हिन्दुस्तान में काफ़ी भला-बुरा कहा जाता है। कुछ लोग तो उन्हे मुसलमान मानने से इंकार कर देते हैं।
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