बुधवार, 18 नवंबर 2009

जिस तरह हिन्दु (सनातन) धर्म में दफ़नानें की इजाज़त नही है ठीक उसी तरह इस्लाम में सिर्फ़ एक खुदा (अल्लाह) है, किसी और की पुजा करने की इजाज़त नही है... As in Hindu (Sanatan) Religion To Make A Grave Is Not Allowed Similarly In Islam There Is Only One God (Allah), Worship Of Another One Is Not Allowed..

मैनें जब ये ब्लोग बनाया तब ये सोचा था की इस ब्लोग का इस्तेमाल मैं सिर्फ़ मुस्लमानों को सुधारने के लिये करुंगा क्यौंकि आज का मुस्लमान ये भुल चुका है की सही इस्लाम क्या है? अल्लाह के रसुल ने हमें किस तरह से जीना बताया है.... ये सब कुछ भुल चुका है...

बरहाल वन्दे मातरम के मसले पर मैने एक लेख लिखा था "एक भी भारतीय मुस्लमान देशभक्त नही है" तो उस पर मुझे जो टिप्पणियां मिली उससे काफ़ी तकलीफ़ हुई... बहुत से लोग इस बात से सहमत थे की "वन्दे मातरम" गाने से कोई देशभक्त नही हो जाता है....लेकिन फ़िर भी मुस्लमानों से उन्हे वन्दे मातरम गवांना भी है... इस बात को लेकर मेरे एक बहुत करीबी दोस्त से झगडा भी हो गया उसने मुझ से अब तक बात नही की है...उससे जो बहस हुई उस बह्स को मैने अपने पिछले लेख में उतार दिया इस मिट्टी और इस ज़मीन को पुजते हो तो इसमें दफ़न क्यौं नही हो जातें..!!!! If You Worship This Country This Soil So Why You Not Graved In This Soil???  



 मेरे इस लेख से बहुत से लोगों को तकलीफ़ पहुची है मुझे इसी लेख पर टिप्पणी के माध्यम से पता लगा की किन्ही साहब ने मेरे नाम कोई चैलेन्ज दिया है मैने ढुढा तो मुझे तो कहीं नही मिला...बताने वाले के अनुसार उस महान ब्लोग्गर (?) का चैलेंन्ज मुझे कुबुल करना होगा लेकिन किसका चैलेन्ज कुबुल करना ये तो बताया ही नही.....ना उस शख्स का कोई नाम या उसके लेख का लिन्क दिया है.....कोई अगर अपने घर में खडा चीख रहा है तो उसकी आवाज़ मेरे कानों में तो नही आयेगी ना.....उसने चैलेंन्ज किया है तो चैलेन्ज को मेरे घर तक, मुझ तक तो पहुचाये....इन्शाल्लाह उसको इसका जवाब ज़रुर मिलेगा.....

मैने अपना मेल एडैस अपने सारे ब्लोग और अपनी प्रोफ़ाइल में भी दिया है...........खैर मुद्दे की बात करते है


मुझे तुलना पसन्द नही है...चाहे वो इन्सानों की हो या धर्म की या धार्मिक किताबों या गर्न्थों की........क्यौंकि जैसे हर इन्सान का मिज़ाज़ अलग होता है, उसका माहौल अलग होता है ठीक उसी तरह हर धर्म अलग है और हर धर्म की मान्यतायें अलग है आप उनकी तुलना नही कर सकते हो

इस लेख से काफ़ी लोगो को तकलीफ़ हुई है....शायद इस तकलीफ़ से उन लोगों को मुस्लमानों को होने वाली तकलीफ़ का अन्दाज़ा हो जाये......हमें भी ठीक ऐसा ही लगता है जब हमें कोई हमारे मज़हब के बाहर का काम करने को बोलता है.....


जिस तरह किसी हिन्दु देशभक्त को उसके कहने के बावजुद दफ़नाया नही जा सकता क्यौंकि ये हिन्दु (सनातन) धर्म के खिलाफ़ है ठीक उसी तरह इसलाम में सिर्फ़ एक खुदा की इबादत की जाती है इसके अलावा किसी और की इबादत की इजाज़त नही है....हम लोग अपने देश से बहुत प्यार करते है और उसके लिये कुछ भी कर सकते है...लेकिन हम अपने देश की, उसकी मिट्टी की इबादत नही कर सकते है....


वन्दे मातरम पर फ़तवा आज से बारह साल पहले आया था उसके बाद जब भी इस मसले को उठाया गया तो सिर्फ़ राजनीति के लिये....आज से तीन साल पहले तक मैने वन्दे मातरम गाया था...अब भी कभी-कभी गाता हूं......अब मेरा छोटा भाई एन.डी.ए. की तैयारी कर रहा है वो भी गाता है जबकि उसे इस फ़तवे के बारे में भी पता है और वन्दे मातरम का मतलब भी पता है.... लेकिन अगर मुझसे वन्दे मातरम गाने के लिये कहा जायेगा सिर्फ़ अपने वतन से अपनी वफ़ादारी दिखाने के लिये तो मैं नही गाऊंगा.....मैं वन्दे मातरम गाकर साबित करू कि मैं अपने देश से प्यार करता हुं...मेरे दिल में देशप्रेम है....तु उसके लिये मैं कभी तैयार नही हुं क्यौंकि मेरा देशप्रेम इतना कमज़ोर नही है की मुझे उसके साबित करने के लिये एक गीत गाना पडे.....

 तो मेरी आप लोगों से हाथ जोडकर विनती है की इस मसले को मुस्लमानों के ऊपर छोड दे...वो चाहे तो गाये...वो ना चाहें तो ना गाये.....ये उनके ऊपर है....

जो लोग कहते है की मुझे अंग्रेज़ी नही आती है उनके लिये

 For your kind information...I'm blogging from 2003.....I'm owner of three English Blog....& the Fourth One is in pipeline....

 

sumthindifferent 

Unique Collection

The Holy Qur-an

It's All About Personality

 


 (Important Note :- रविवार शाम से मेरे सिस्टम का U.P.S. खराब होने की वजह से ये लेख देर से प्रकाशित हो रहा है...)






अगर लेख पसंद आया हो तो इस ब्लोग का अनुसरण कीजिये!!!!!!!!!!!!!


"इस्लाम और कुरआन"... के नये लेख अपने ई-मेल बाक्स में मुफ़्त मंगाए...!!!!

16 टिप्‍पणियां:

  1. अधूरा ज्ञान अज्ञान से ज्यादा घातक होता है.


    इस्लाम का कह नहीं सकता, हिन्दु धर्म में दफनाने की मनाई है यह बात सत्य नहीं है. कुछ हिन्दु समुदाय अग्निदाह के स्थान पर दफनाते है. वहीं धरती में समाधी देने के भी उदाहरण है.

    अग्नि संस्कार का कारण यह है कि शरीर पाँच तत्वों से बना है और अग्नि संस्कार से देह इन्ही पाँच तत्वों में विलीन हो जाती है.

    यह टिप्पणी मात्र जानकारी देने के लिए की है. इसे किसी विवाद में न घसीटें.

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  2. टेक्नोरटी ने अन्य भाषा के सभी ब्लाग को हटा दिया है चाहे वो उर्दू ब्लाग हो या हिन्दी, बस अब सिर्फ अंग्रेजी ब्लाग को ही रखता है टेक्नोरटी(technorati.com)


    अभी सिर्फ ब्लाग के एड्रेस मिलेंगे उसपर पर कोई पोस्ट नही दिखाता।


    हिन्दी, मुसलीम, सिख,ईसाई सब हैं भाई भाई फिर क्यों है लडाई???????????

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  3. हिन्दू और मुसलमान मे बुनियादी फ़र्क ये है कि हिन्दू ,सम्विधान मे पूरी आस्था रखता है
    जबकि मुसलमान , सम्विधान और कुरान के बीच झूलता रह्ता है

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. मैं भी विनती करता हूं कि आप अपना गाओ, हमें हमारा गीत जो मेरी जानकारी अनुसार संविधान में तय किया गया है 'लब बे आती है दुआ बनके तमम्‍ना मेरी' गाने नहीं पढने दिया जाए,,,,, यहां बात सनातन की हो रही है इस विषय पर कोई अधिक जानना चाहे तो पढे
    सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
    Direct link

    जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं विद्वान मौलाना आचार्य शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक योग्‍य शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकाने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है,
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/08/famous-book-ab-bhi-na-jage-to.html
    Direct link

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  6. बेटा तेरे नाम वाले एड्रेस का निम्‍न लिंक का खत (चैलेंज) मुझे मिला, खोलके देखा तो अंदर खान साहब के नाम पत्र था, तुम्‍हें भगौडा बना दिया गया, भाई लोंगों ने बिना पढे वाह-वाह भी करदी, कसम से ब्लागिंग बच्‍चों का खेलने का मैदान बन गई शबो रोज़ तमाशे तमाशे तमाशे, लहानत है

    लौ जी भाग गया काशिफ़ आरिफ़ ! सभी शान्ति प्रिय ब्लॉगर्स को अलबेला खत्री की हार्दिक बधाई !
    http://albelakhari.blogspot.com/2009/11/blog-post_17.html

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  7. हिन्दुओं में हर किसी को नहीं जलाया जाता, अग्नि संस्कार अनिवार्य रूप से केवल हिंदी उत्तर भारत में किया जाता है. पर वहां भी साधू सन्यासियों को समाधी दी जाती है, अकाल मृत्यु प्राप्त बच्चों को भी दफनाया जाता है. दक्षिण भारतीय हिन्दूओ में ज्यादातर लोग दफनाये जाते हैं. उत्तर से दक्षिण तक हर राज्य में कई जातियां, पंथ, धर्मिक गुट और आदिवासी काबिले ऐसे मिल जायेंगे जिनमे शव को समाधी देने की प्रथा है.

    ------------------------

    हिन्दुओं से इतनी नफरत और कटुता की अब आप भी गलत बातें फ़ैलाने पर उतर आए? आप ऊँची जाती के मुसलमान हैं आपके पूर्वज भी कभी हिन्दू ही थे. आप शायद काफिरों की हर बात नापसंद करते हैं.

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  8. dikkat yahi hai...
    aap jaise achchhe log bure logo ki dhaal bann jate ho...

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  9. अधजल गगरी छलकत जाये, हिन्‍दू सस्‍कृति बहुत सी प्रथाओ को समेटे हुये है। पहले ज्ञान बटोरो श्रीमान

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  10. @ संजय जी,

    आपकी टिप्पणी का शुक्रिया...मैं ये तो जानता हूं की हिन्दु धर्म में दफ़नाया जाता है लेकिन सिर्फ़ छोटे बच्चों....बडों का सिर्फ़ अन्तिम संस्कार किया जाता है..

    मुझे कुछ हिन्दु समुदायों से मतलब नही है...मेरा मुख्य मकसद हिन्दु (सनातन) धर्म में क्या है उससे था....

    मैनें ये लेख अपने शहर के दो मानें हुये पंडितों से चर्चा करने के बाद ही लिखा है....अन्तिम संस्कार से कैसे शरीर पांच तत्वों में विलीन हो जाता है इसकी भी जानकारी दे देतो तो अच्छा होता...

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  11. @ ab inconvenienti जी,

    मैं ये तो जानता हूं की हिन्दु धर्म में दफ़नाया जाता है लेकिन सिर्फ़ छोटे बच्चों....बडों का सिर्फ़ अन्तिम संस्कार किया जाता है..

    मुझे कुछ हिन्दु समुदायों से मतलब नही है...मेरा मुख्य मकसद हिन्दु (सनातन) धर्म में क्या है उससे था....

    मैं उत्तर भारत मे रहता हूं और मेरी इस विषय पर जानकारी कम है इसलिये मैनें ये लेख अपने शहर के दो मानें हुये पंडितों से चर्चा करने के बाद ही लिखा लेकिन अब भी आप इसे गलत कह रहे है

    तो ज़रा आप मुझे समझायेंगें कि ये सनातन धर्म में परमात्मा का आदेश कौन सा है?? और कौन सी इंसान की बनाई हुई प्रथा है???? मैं थोडा कन्फ़युज़ हो गया हूं....

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  12. रही बात काफ़िरों की हर बात नांपसंद करने या ना करने की...या गलत बात फ़ैलाने की...

    तो मैनें ये लेख आपके धर्म का पालन करने वाले और दुसरों से करवाने वाले पंडितों से जानकारी करने के बाद ही लिखा था क्यौंकि मैं कच्ची गोलियां कभी नही खेलता जिस काम में उतरता हूं उसके बारे में पहले जानकारी कर लेता हूं....

    मैनें एक पंडित की बात को दुसरे पंडित की बात से मिलाया है तब जाकर मैनें ये लेख लिखा है....अब तुम्हारे धर्म में ही इतनी सारी प्रथायें है कि पता ही नही चलता है के "असली सनातन धर्म क्या है?"

    कोई अपने खानदान, अपने घर की प्रथा पर चल रहा है....
    कोई अपनी बिरादरी की प्रथा पर अमल कर रहा है...

    इन सब के बीच सही सनातन धर्म तो खो गया है....

    जवाब देंहटाएं
  13. @ महाशक्ति जी,

    यही फ़र्क है आपके सभ्यता में प्रथायें इस तरह घुस चुकी है की यही पता नही चलता है कि सनातन धर्म क्या है??? कौन सी प्रथा है और कौन सा ईश्वर का आदेश????

    हालंकि भारतीय उपमहाद्विप में इस्लाम भी इन प्रथाओं के चंगुल में फ़ंसता जा रहा है जैसे...मौहर्रम, शबे बारात, ग्यारवीं, फ़ातिहा, दरगाहों पर चादर चढाना वगैरह वगैरह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. kasim bhai snatan ho ya shaiv ya koye aur maksad sabka ek hi hota hai aman aur khushhali
      jo dharm samaj ko tukadon men todta hai wo kattar kahlata hai. etani se bat aap log kyon nahi samajhate
      dharam ka kam hai samaj ko jodana aman lana khushhali lana jindagi ko aasan banana
      na ke vivad karana aur ek dusre per aarop lagana. jab tak ham ek ha ham safe hai jis din tut gaye to ye desh bhi tut jayega jaisa ke pahle bhi kye bar hua hai
      jageye, dekhiye samay apni raftar se daud raha hai ye kisi ke liye nahi rukega mere bahi. na hamere liye na kisi dharm ke liye
      dram hamesha nahi the aur na hamesa rahenge lekin es jamin per ensam pahale bhi tha aur bad men bhi rahega.

      हटाएं
  14. जो लोग वनदे मातरम को लेकर चीखते चिल्लाते हैं वह अपनी जेब में रखे , , ,, हम इस नज़म को गाते हैं जिसको अल्लम्ह इक़बाल ने लिखा हे देश के लिए ,


    सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
    हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा

    गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
    समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा, सारे ...

    पर्वत हो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
    वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा, सारे ...

    गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां
    गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा
    सारे ...

    ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको
    उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा, सारे ...

    मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
    हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा, सारे ...

    यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से
    अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा,
    सारे ...

    कुछ बात है की हस्ती, मिटती नहीं हमारी
    सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा, सारे ...

    'इक़बाल' कोई मरहूम, अपना नहीं जहाँ में
    मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहां हमारा,

    जवाब देंहटाएं

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अगर दिल में कोई सवाल है तो पुछ लीजिये....

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