साहिबे-कुरआन मुह्म्मदुर्रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के बेटे-बेटियां
1. कासिम :- यह आपकी पहली औलाद हैं । आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की
कुन्निय्यत "अबुल कासिम" इन्ही के नाम पर है । हज़रत खदीजा से पैदा हुये । पांव-पांव चलना सीख गये थे कि इन्तिकाल कर गये ।
2. अब्दुल्लाह :- यह भी हज़रत खदीजा से हैं । इनका लकब "तय्यब" और "ताहिर" था । नबुव्वत के बाद पैदा
हुये । इन्हीं के देहान्त पर सूर: कौसर नाज़िल हुयी । मक्का में बचपन में देहान्त हुआ ।
3. इबाहिम :- हज़रत मारिया किबतिय्या से 9 हिजरी में मदीना में पैदा हुये । बरा बिन औंफ़ की पत्नी उम्मे
बुर्दा इन्हें दूध पिलाया था । 18 माह की आयु सीमा पार कर 10 हिजरी में वफ़ात पाई । जिस रोज़ इनका इन्तिकाल हुआ इत्तिफ़ाक से उसी दिन सूरज ग्रहण भी लगा था । ह्ज़रत अनस रजि० फ़रमाते हैं कि मोटे-ताज़े और भारी बदन के थे ।
4. ज़ैनब :- यह हज़रत खदीजा से हैं । नबुवत से 10 साल पहले मक्का में पैदा हुयीं उस समय आप
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 30 वर्ष थी । यह केवल कासिम से उम्र में छोटी थीं । इनका निकाह सगी खाला के लडके अबुल आस से हुआ । हिजरत के सफ़र में हब्बार बिन असवद के नेज़ा मारने से गर्भपात हो गया था । 30 वर्ष की उम्र में 8 हिजरी में इन्तिकाल हो गया । शौहर का इन्तिकाल 12 हिजरी में हुआ । एक लडका अली और लडकी उमामा नाम के पैदा हुये । इनकी तफ़सील नवासे-नवासियों (नाते-नातीयों) के भाग में देखें ।
5. रुकय्या :- हज़रत खदीजा की औलाद हैं । बडी बहन ज़ैनब से ३ वर्ष छोटी थीं । यह उस समय पैदा हुयीं
जब आपकी उम्र 33 वर्ष की थी । हज़रत उस्मान से निकाह हुआ । अल्लाह की राह में शौहर के साथ हिजरत करने वाली पहली खातून हैं । 2 हिजरी में 21 वर्ष की उम्र में चेचक की महामारी में देहान्त हुआ । नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जंग बद्र को जा रहे थे और यह सख्त बीमार थीं । बद्र के फ़तह होने की बशारत देने वाला मदीना पहुंचा तो इन्हे दफ़न किया जा रहा था । एक साहबज़ादे अब्दुल्लाह नाम के पैदा हुये थे । इनकी तफ़सील नवासे-नवासियों (नाते-नातीयों) के भाग में देखें ।
6. उम्मे-कुलसूम :- हज़रत खदीजा से मक्का में पैदा हुयीं । हज़रत रुकय्या के इन्तिकाल के बाद 3 हिजरी
में हज़रत उस्मान से निकाह हुआ । यह निकाह अल्लाह के हुक्म से हुआ । लग-भग 6 वर्ष तक हज़रत उस्मान के निकाह में रहने के बाद 9 हिजरी में इन्तिकाल हुआ । हज़रत अली, उसामा बिन ज़ैद कफ़न-दफ़न में शरीक थे । इन्ही के बारे में नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया था कि इनको कब्र में वह शख्स उतारे जिसने आज रात अपनी बीवी से हमबिस्तरी न की हो । हज़रत तल्हा अन्सारी ने कब्र में उतारा । हज़रत अनस रज़ि० फ़रमाते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इनकी कब्र पर बैठे हुये थे और आंखों से आंसूं बह रहे थे । इन्हो ने कोई औलाद नही छॊडी ।
7. फ़ातिमा :- हज़रत खदीजा के पेट से अन्तिम औलाद हैं । एक नबुव्वत में पैदा हुयीं । उस समय
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 41 वर्ष थी (पैदाइश के साल में अधिक इख्तिलाफ़ हैं) आपकी सबसे चहेती बेटी हैं । इन्हें अपनी तीनों बहनों पर इस बात इस बात का फ़ख्र है कि केवल इन्ही की नस्ल दुनिया में बाकी हैं । हज़रत अली रज़ि० से जंग बद्र के बाद निकाह हुआ । 3 रमज़ान 11 हिजरी मंगल को देहान्त हुआ । इनकी कब्र जन्नतुल बकीअ में है । वसीयत के मुताबिक शौहर हज़रत अली ने इन्हे स्वंय गुस्ल दिया और इन्हों ने ही ज़नाज़ा की नमाज़ पढाई । दो लडके हसन, हुसैन और दो लडकियां उम्मे कुलसूम और ज़ैनब नाम की पैदा हुयीं । इनकी तफ़सील नवासे-नवासियों (नाते-नातीयों) के भाग में देखें ।
क्रमश: अगले भाग में जारी
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