ये लेख मैनें पिछले साल लिखा और छापा था आज इसको शबे-बारात के मौके पर दुबारा छाप रहा हूं ताकि पिछ्ले साल जिन लोगों ने इसे ना पढा हो वो भी इसे पढ लें।
"शबे-बारात की हकीकत"
"पन्द्र्ह शअबान की हकीकत"
(याद रहे बिदअत गुनाहे कबीरा (सबसे बडा गुनाह) है। बिदअत से शैतान खुश होता है और अल्लाह की नाराज़गी हासिल होती है। बिदअत का रास्ता जहन्नुम की तरफ़ जाता है। लिहाज़ा तमाम मुसलमानों को बिदआत से बचना चाहिये।)