बुधवार, 13 जनवरी 2010
साहिबे-कुरआन मुह्म्मदुर्रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का संक्षिप्त जीवन परिचय भाग-2 Short Life Story Of Allah's Messanger Mohammad
गारे-हिरा में इबादत :- हज़रत खदीजा से शादी के बाद आप घरेलू मामलों से बेफ़िक्र हो गये। पानी और सत्तू
साथ ले जाते और हिरा पहाडी के गार (गुफ़ा) में दिन-रात इबादत में लगे रहते। मक्का शहर से लगभग तीन मील की दूरी पर यह पहाडी पर स्थित है और आज भी मौजुद है। हज़रत खदीजा बहुत मालदार थी इसलिये आपकी गोशा-नशीनी (काम/इबादत/ज़िन्दगी) में कभी दखल नही दिया और न ही तिजारत का कारोबार देखने पर मजबूर किया बल्कि ज़ादे-राह (रास्ते के लिये खाना) तय्यार करके उनको सहूलियत फ़रमाती थीं।
समाज-सुधार कमेटी :- हिरा के गार में इबादत के ज़माने में बअसर लोगों की कमेटी बनाने का मशवरा आप
ही ने दिया था और आप ही की कोशिशों से यह कमेटी अमल में लायी गयी थी। इस कमेटी का मकसद यह था कि मुल्क से फ़ितना व फ़साद खत्म करेंगे, यात्रियों की सुरक्षा करेंगे और गरीबों की मदद करेंगे।
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