शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

उलमाओं का फतवा चाँद तारा मुसलमानों का निशान नहीं है.... Moon & Star Is Not The Sign Of Islam Or Muslims Fatwa From Ulema's

 बहुत दिनों से मैं इस सवाल का जवाब ढुंढ रहा था, बहुत से मौलानाओं से बात की, शहर काज़ी जी से बात की, कुरआन और हदीसों को तलाशा, फ़िर आखिर में कई दारुल ऊलुम में खत भेजा कुछ सवाल लिख कर लेकिन कुछ जवाब नही मिला। मेरे घर का नेट कनेक्शन काफ़ी दिन से बन्द था इसके मुत्तालिक मैनें एक लेख भी लिखा था "हमारा हिन्दुस्तान" पर।

उस दिन अचानक मुझे "हमारी अन्जुमन" पर ये लेख मिला तो बशुक्रिया मैं ये लेख आप लोगो के सामने रख रहा हूं।

आज हमारी मस्जिदों और घरों में चाँद तारे का ये निशान आम है। आज के मुस्लिम इस निशान को इस्लाम का निशान समझते हैं और लोग भी ऐसा ही मानने लगे हें। अब ये माना जाता है कि जैसे ईसाइयों का निशान क्रास है, हिन्दुओं का निशान ओम या स्वास्तिक है इसी तरह मुसलमानों का निशान चाँद तारा है, आज शायद ही कोई मस्जिद ऐसी हो जिसके गुम्बद या मीनार की चोटी पर चाँद तारे का ये निशान मौजूद न हो।मैने इस बारे में सोचा और इस बात पर शोध किया कि क्या वाकई ये निशान इस्लाम के पैगम्बर का है या अल्लाह के दीन से इसका कोई ताल्लुक है ।
मुझे तब हैरत हुयी जब मैनें इस निशान की तस्दीक के लिए कुरआन और हदीस में इसे तलाश किया । मुझे कोई सनद न मिली। अलबत्ता ये जरूर पता चला कि इब्राहीम अलै. ने चाँद तारे को पूजने वालों के खिलाफ ज़िहाद किया था। और मूसा अलै. ने भी और अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्‍ल. ने भी इनकी मूर्तियों को तुडवाया था। मुझे 22000 साल पूराने सबूत मिले हैं जिनसे साबित होता है कि ये गैरूल्लाह का निशान है न कि इस्लाम का।शोध के बाद मैने उलेमाओं से 14 सवाल पूछे जिन पर उन्होनें फौरी तौर पर कुछ जवाब दिए है और तफसील से जवाब देने के लिए उलेमा इस पर गहन शोध कर रहे हैं । -- मुहम्‍मद उमर (उमर सेफ)उलेमा को लिखे खत पर मज़ाहिरउलूम के उलेमाओं के जवाबः

असलामुअलैकुम, जनाब मेरे जेहन में कुछ सवाल उठे हैं ? आप से दरख्वास्त है कि मेरे सवालों पर गौर करें और जवाब में फतवा जारी करें, अल्लाह हम सब पर रहम करे और सीधा रास्ता दिखाए।

सवाल 1. क्या चाँद , चाँद के साथ तारा, चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का इस्लाम से कोई ताल्लुक है ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- नही

सवाल 2. क्या चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का नमाज से कोई ताल्लुक है?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब-
नही

सवाल 3. क्या चाँद, चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद, चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का मस्जिदों से कोई ताल्लुक है? और क्या इस निशान से दुआऐं में कुछ असर बढता है या घटता है?
मज़ाहिरउलूम के मूफतियों का जवाब-
नही

सवाल 4. क्या हज़रत मुहम्मद सल्‍ल. का चाँद , चाँद के साथ तारा, अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान के इस्तेमाल से कोई ताल्लुक है? और क्या अल्लाह के नबी ने इन निशनों को कभी खास अहमियत दी?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।

सवाल 5. क्या किसी ख़लिफा या ईमाम ने चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का इस्तेमाल किया ? और क्या कभी इन निशानों को खास तरजीह दी ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।

सवाल 6. क्या हजुरेपाक सल्‍ल. ,या किसी खलीफा के ज़माने में उनके झण्डे पर चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज का निषान हुआ करता था ? क्या नबी की मुहर पर चाँद तारा बना था?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।

सवाल 7. क्या चांद, चांद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान को खास अहमियत देने के लिए अल्लाह ने कुरआन में कोई हुक्म जारी किया है? अगर किया है तो किस सूराः की किस आयत में जिक्र है। और कोई हुक्म नही है तो हमारा इन्हे खास मानना किस तरह का गुनाह है और क्या बिना सनद के किसी को खास मानने से अल्लाह नाराज नही होगा ? क्या आगे चलकर हमारी मस्जिदें शिर्कगाहें नही बन जाऐंगी?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा कुछ नही है।

सवाल 8. क्या अल्लाह के रसूल ने चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान को खास अहमियत देने के लिए कोई हुक्म जारी किया है? अगर किया है तो वो क्या है?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा कोई हुक्म हमारे इल्म में नही है।

सवाल 9. आज हमारी मस्जिदों और घरों में मौजूद चटाइयों और मुसल्लों के उपर लाल नीले व अन्य रंगों में गुम्बद के उपर चाँद तारे (उज्जा, षुक्र ग्रह) के निशान बने हैं एक नमाजी के सामने 5 निशान बनें रहते है। जब नमाजी नमाज पढतें हैं तो निगाह सज्दे करने की जगह पर रखते हैं। और नमाजी नमाज के पूरे वक्त सामने बने चाँद तारा को एकटक देखता रहता है और जब रूकु में होता है तब भी निगाह चाँद तारे पर होती है और जब सज्दा करते हैं तो पेशानी ठीक चाँद तारे के निशान पर रखते हैं।क्या नमाज पढते वक्त चाँद तारे के निशान को देखते रहने से अल्लाह कुछ ज्यादा राजी होता है या नाराज?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- चटाई और मुसल्लों पर इस किस्म की कोई चीज ना बनी हो ताकि मजकूरा अलामात में से किसी किस्म का इहाम(भ्रम) ही पैदा ना हो,चटाई या मुसल्ला बिल्कुल सादा बगैर किसी मजहबी या गैर मजहबी नक्‍शो निगार के होने को शरअन पसन्द किया गया है। ताकि नमाज़ी को जेहनी उलझन ही पैदा ना हो। नमाज पढते वक्त चाँद सितारे को देखते रहने से अल्लाह कुछ ज्यादा राजी होता है ऐसा तो कोई दीन से जाहिल ही समझता होगा।

सवाल 10. क्या चाँद तारे के खास निशान पर पेशानी रखने पर सज्दा कबूल हो जाता है? और नमाज में कोई खलल नही पडता है?
(No Answer)

सवाल 11. और अगर खलल नही पडता तो क्या सज्दे की जगह पर दूसरे आसमानी चीजों जैसे सूरज, बुध ग्रह, शनि ग्रह, मंगल ग्रह, धु्रव तारा, सप्त रिशी , या 27 नक्षत्रों या बारह राशियों या स्वातिक या ओम आदि के निशान वाले चटाई पर सज्दा किया जा सकता है या नही? और नही किया जा सकता तो क्या अल्लाह को चाँद तारे के छोडकर बाकि कोई भी निशान पसन्द नही है?
मज़ाहिरउलूम के मुफत‍ियों का जवाब- जब चांद सितारे के निशानात पर पेशानी रखने से उनकी इबादत या ताज़ीम (इज्ज़त देना) मकसूद ना हो , जैसा कि मसाजिद की जानमाजों पर सज्दा करते वक्त होत
ा है । तो इस तरह सज्दा हो जाता है और नमाज में कोई खलल नही पडता और अगर चाँद सितारे या दूसरे मजाहिब की चीजों के खास निशानात पर पेशानी रखने से मकसूद बिज्जात (उन्हीं की इबादत) वो ही निशानात हों और उन्ही को माबूद समझकर सज्दा करें जैसा कि इन जिक्र की हुयी चीजों के पुजारियों का तरीका है,तो ऐसा करना बिला शुब्हा शिर्क होगा जो कतन हराम है और ममनू (मना है) है। मगर ध्यान रहे, कि इससे ये गलतफहमी न होनी चाहिए कि मज़कूरा (सवाल में जिक्र किए गए) आसमानी या गैर आसमानी चीजों के निशानात को बगैर सज्दे की नियत के सज्दा किया जा सकता है। या चाँद तारे वगैराह के निशान वाली चटाई होनी चाहिए।


सवाल 12 हमारी मस्जिदों पर बने इन निशानों का क्या करें और अगर ये सब गुनाह और शिर्क है तो ऐसी चटाईयों का क्या करें क्या उनके साथ वही सलूक करें जो अल्लाह के रसूल ने काबे में रखे लगभग 360 बुतों के निशानों के साथ किया था ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसी चटाईयों (जिन पर चाँद सितारे बने हुए हों) का जायज इस्तेमाल करें उनकी बिज्जात ताज़ीम ना की जाए इनके उपर पैर वगैराह रखने से ऐहतराज व इज्तीनाब न किया जाए । अलबत्ता इन चाँद सितारों वाली चटाइयों के साथ वो सलूक तो ना करें जो अल्लाह तआला के रसूल सल्‍ल. ने काबा में रखे 360 बुतों के साथ किया था .
दारुल उलूम देवबंद देवबन्द के उलेमाओं का जवाब


अल जवाब बिल्लाही तौफीक।
आपने एक से लेकर चौदह नम्बरों तक जिस कदर सवाल किए हैं कुरआन हदीस से इसका कोई तआल्लुक नही है, ना ही इस्लामी हुक्मरानों के यहाँ ऐसे निशानात को हमारे इल्म में अहमियत दी गयी । चाँद सितारों के निशानात जो 7000 साल पहले उज्जा देवी के निशानात या गैरउल्लाह की परस्तिश करने वालों के मज़हबी निशानात बताए गए हैं अव्वल तो मुस्तनद तारीख से उसका सबूत होना चाहिए अगर मज़हबी तारीख में मुस्तनद तरीके पर इसका सबूत मिलता है तो हमें ऐसे धार्मिक निशानात से बचना चाहिए जिसमें दूसरे धर्म वालों की मज़हबी तकलीद (पैरवी करना) या मुशाबहत(हमशक्ली) लाज़िम आए। अनुवादक मुफती -फारूक कासमी

Thanks Mr. Umar Saif for this Fundamental Research work (tgs.ngo@gmail.com)



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9 टिप्‍पणियां:

  1. चाँद सितारे से मुतालिक और भी बहुत कुछ जानकारी उमर सेफ द्वारा मुझे मुहय्या की गई है, जैसे 53 इस्‍लामी मुल्‍कों में किन किन 22 मुल्‍कों के झण्‍डे में चाँद या तारा है, हिन्‍दुस्‍तान में कैसे आया आदि, उनका मकसद इसे पुरी इस्‍लामी दुनिया से बाहर निकाल देना, इन्‍शाअल्‍लाह हम उन्‍हें नाकाम नहीं होने देगें, मुहम्‍मद उमर (उमर सेफ) साहब स्‍वयं ब्लागिंग में नहीं आना चाहते कि वह इससे बडे काम कर रहे हैं, कभी किसी के भी धर्मग्रंथ संबन्धित प्रशन करना हो तो उनके ईमेल से राबिता किया जा सकता है, मेरा सौभाग्‍य में उनकी सोहबत से फेजियाब होता रहता हूं,

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    1. क्या हमको भी उनका ईमेल एड्रेस मिल सकता है

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  2. उमर भाई बहुत बहुत शुक्रिया ऐसे शख्स से राबता करने का रास्ता बताकर

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  3. अच्छा ! तो फिर क्या निशान है जी ?

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  4. आपकी बात सही है....अल्लाह के नबी ने ऐसा कोई निशान इस्तेमाल नही किया....और ना करने के लिये कहा............कोई निशान नही है.....

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  5. bhai ap khud deen se bhatke due ho to deoband ke ulma kya batenge.. pahle tum deobandio wahabio ka rasta chhor kar sahi raste par aa jao.. ok
    Sayyad mohammad sikander warsi

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