रमज़ान के पाक महीने में रोज़े का तप करने के बाद आज सारे मुसलमानों को उनके रोज़ों और इबादत का सवाब मिलेगा। अल्लाह ने वादा किया है "कि मैं ईद-उल-फ़ितर के दिन रमज़ान के महीने में की गयी हर इबादत का अज़्र ईदगाह में दुंगा।"
लोग अपने घर की औरतों को ईदगाह में नही ले जाते है कहते है की "औरतों का मस्जिद में जाना मना है" लेकिन "उन्हे ईदगाह ले जाना चाहिये क्यौंकि रोज़े उन्होने भी रखें है और उन्हें भी अपने रोज़ो का अज्र लेने का हक है।" मुस्लमान वो भी है, नमाज़ उन पर भी फ़र्ज़ है और मस्जिद नमाज़ पढने की जगह है तो औरतों वो मस्जिद में नमाज़ पढने से कोई नही रोक सकता है।
ज़्यादा जानकारी और हदीसों के लिये मेरा ये लेख पढें
"इस तस्वीर में आप देख सकते है की ये औरतें ईद की नमाज़ अता कर रही है" (ये तस्वीर कहां की है मुझे इसकी जानकारी नही मिल सकी उसके लिये माफ़ी चाहता हूं)
अल्लाह आप सबको कुरआन और हदीस को पढकर, सुनकर, उसको समझने की और उस पर अमल करने की तौफ़िक अता फ़र्मायें।
आमीन, सुम्मा आमीन
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