पिछ्ले भाग - 1, भाग - 2, भाग - 3 से जारी....
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सवाल :- जादु का क्या हुक्म है?
जवाब :- जादु कुफ़्र है।
कुरआन से दलील :- लेकिन शैतानों ने कुफ़्र किया क्यौंकि वह लोगों को जादु सिखाते थे।
(सूरह बकर सू. 2 : आ. 102)
हदीस से दलील :- सात हलाक करने वाली चीज़ों से बचो अल्लाह के साथ शिर्क करना और जादु वगैरह।
(मुस्लिम)
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सवाल :- क्या हम जादूगर और ज्योतिषी की बातें मान सकते हैं?
जवाब :- इल्म गैंब (छुपी हुई चीज़ों) के बारे में हम उनकी बात नहीं मान सकते।
कुरआन से दलील :- कह दीजिये ज़मीन व आसमान में जो भी हैं वह गैंब नही जानते मगर अल्लाह तआला।
(सूरह नमल सू. 27 : आ. 56)
हदीस से दलील :- जो जादूगर या ज्योतिषी के पास आया और उसकी कही हुई बातों को माना तो उसने
मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर उतारी गयी शरीअत के साथ कुफ़्र किया। (सहीह रवाहु अहमद)
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सवाल :- क्या किसी को गैब मालूम है?
जवाब :- अल्लाह के सिवा गैब कोई नही जानता।
कुरआन से दलील :- और अल्लाह तआला ही के पास गैब की कुंजियां है उनको उसके सिवा कोई नहीं जानता।
(सूरह अनआम सू. 6 : आ. 59)
हदीस से दलील :- अल्लाह के अलावा गैब कोई नहीं जानता। (सहीह रबाहु अहमद)
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सवाल :- इस्लाम के खिलाफ़ कानूनों पर अमल करने का क्या हुक्म है?
जवाब :- उसे जाइज़ व मुनासिब समझते हुए उस पर अमल करना कुफ़्र है।
कुरआन से दलील :- और जो लोग अल्लाह के उतारे हुए हुक्म के मुताबिक फ़ैसला ना करें वह काफ़िर हैं।
(सूरह मायदा सू. 5 : आ. 44)
हदीस से दलील :- अगर मुस्लिम हुक्मरान कुरआन के मुताबिक फ़ैसला नहीं करेंगे तो अल्लाह उनके
दरम्यान फ़ूट डाल देगा। (इब्ने माज़ा)
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सवाल :- शिर्क अकबर (बडा शिर्क) का नुकसान क्या है?
जवाब :- शिर्क अकबर जहन्नम में हमेशा रहने की वजह बनता है।
कुरआन से दलील :- मुशरिक के लिये अल्लाह तआला ने जन्नत को हराम कर दिया है और उसका ठिकाना
जहन्नम है। (सूरह मायदा सू. 5 : आ. 72)
हदीस से दलील :- जो इस हालत में मरा कि वह अल्लाह के साथ ज़र्रा बराबर भी शिर्क करता था तो ऐसा
शख्स जहन्नमी है। (मुस्लिम)
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सवाल :- क्या शिर्क के साथ नेक काम कोई फ़ायदा देगा?
जवाब :- शिर्क के साथ नेक काम कुछ भी फ़ायदा न देगा।
कुरआन से दलील :- और अगर उन नबियों और रसूलों से भी शिर्क सरज़द हो जाता तो उनके सारे आमाल
बरबाद हो जाते। (सूरह अनआम सू. 6 : आ. 88)
हदीस से दलील :- जिसने अपने किसी अमल में मेरे साथ गैर अल्लाह को शरीक किया तो मैं उसको और
उसके साझेदार को छॊड देता हूं। (हदीस कुदसी रवाहु मुस्लिम)
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सवाल :- क्या गैर अल्लाह की कसम खाना जाइज़ है?
जवाब :- सिर्फ़ अल्लाह की कसम खानी जाइज़ है गैर अल्लाह की कसम खानी शिर्क अस्गर (छॊटा शिर्क) है।
कुरआन से दलील :- कहो क्यों नहीं, मेरे रब की कसम तुम ज़रुर उठाए जाओगे।
(सूरह तगावुन सू. 64 : आ. 7)
हदीस से दलील :- जिसने गैर अल्लाह की कसम खाई उसने शिर्क किया।
(सनन अबू दाऊद, सनन तिर्मिज़ी)
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सवाल :- क्या हम शिफ़ा हासिल करने की खातिर तावीज़, घोंघा, काला धागा वगैरह लटका सकते है?
जवाब :- नही लटका सकते है क्यौंकि ये शिर्क है।
कुरआन से दलील :- और अगर अल्लाह तुम्हे कोई तकलीफ़ पंहुचाये तो उसके सिवा कोई उसको दूर करने
वाला नहीं है। (सूरह अनआम सू. 6 : आ. 17)
हदीस से दलील :- जिसने बुरी नज़र से बचने या शिफ़ा हासिल करने के लिये तावीज़, मटका, छ्ल्ला, काला
धागा वगैरह लटकाया उसने शिर्क किया। (अहमद)
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सवाल :- हम अल्लाह कि तरफ़ किन चीज़ों से वसीला पकडें?
जवाब :- हम अल्लाह के सिफ़ाती नामों और अपने अच्छे कामों से वसीला पकडें।
कुरआन से दलील :- अल्लाह के लिये अच्छे नाम हैं लिहाज़ा उन्ही के ज़रिये उसको पुकारो।
(सूरह आराफ़ सू. 7 : आ. 180)
हदीस से दलील :- मैं तुझसे तेरे उस नाम के वसीले से मांगता हूं जो तेरे लिये हैं। (सहीह रवाहु अहमद)
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सवाल :- क्या दुआ में किसी इंसान के वास्ते की ज़रुरत है?
जवाब :- दुआ में किसी इंसान के वास्ते की ज़रुरत नहीं।
कुरआन से दलील :- और जब आपसे मेरे बन्दे मेरे बारे में सवाल करें तो आप बता दें कि मैं उनके करीब हूं।
(सूरह बकर सू. 2 : आ. 186)
हदीस से दलील :- बेशक तुम सुनने वाले करीब को पुकारते हो और वह (अपने इल्म से एतबार से) तुम्हारे
साथ है। (मुस्लिम)
क्रमश : अगले भाग में जारी
अल्लाह हमें और आपको कुरआन, हदीस पढने, समझने और उस पर अमल करने की तौफ़ीफ़ अता फ़रमायें और हमें सही इस्लामी अकीदे पर कायम रखें।
आमीन, सुम्मा आमीन
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बहुत ही बेहतरीन जानकारी..... जज़ाक-अल्लाह!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमुस्लिम शक्ल के साथ-साथ, अक्ल से भी बेवकूफ क्यों होते हैं..?
क्या आपने कभी इस बात पर गहराई से सोचा है कि........ मुस्लिम चोरी, लूटमार, और बेईमानी पर आखिर इतना भरोसा क्यों करते हैं...????
आपको यह जान कर काफी हैरानी होगी कि ... उन्होंने अपना धर्म से लेकर धर्मस्थान (काबा, जामा मस्जिद वगैरह) तक... चोरी से ही बनाई है.....!
और तो और... उन्होंने तो देश तक ( पाकिस्तान, बांग्लादेश वगैरह ) बेईमानी से बना रखी है..!
हद तो यह है कि.... उन्होंने मशहूर कब्रें तक भी लूट कर ही बनाई है (ताजमहल) ...!
तो.. किसी के भी मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि ....आखिर इन सबका कारण क्या है.... और ये हर चीज लूट कर और बेईमानी कर के ही क्यों लेते हैं...... खुद का क्यों नहीं बनाते......????
दरअसल.... इन सबका धार्मिक आधार होने के साथ साथ........ वैज्ञानिक आधार भी है.....!
सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि.... कहीं भी .. कुछ भी... नया बनाने के लिए सबसे पहले दिमाग की जरुरत होती है.... जो कि इन बेचारों के पास होती ही नहीं है.....!
अब मुस्लिम शक्ल के साथ-साथ, अक्ल से भी बेवकूफ क्यों होते हैं ... इसका एक भी एक ठोस वैज्ञानिक आधार है....!
ये बात तो सर्वविदित है और अब वैज्ञानिकों द्वारा भी प्रमाणित है कि ....
जिस समुदाय में अपने ही घर की मादाओं से शादी की जाती हो.... उस समुदाय का मानसिक विकास नहीं हो पाता है...!
क्योंकि.... उसमे माता-पिता का गुणसूत्र (डीएनए) एक ही होता है...! उदाहरण के लिए मान लो कि.... किसी ने चचेरे या मौसेरे बहन से शादी कर ली (जो कि मुस्लिम अक्सर करते हैं) .. तो उनके नाना/दादा के गुणसूत्र एक ही हो जाते हैं और बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है... और, ये बात जगजाहिर है कि.... मुस्लिमों में पवित्र या अपवित्र रिश्ता जैसा कुछ भी नहीं होता है.... उन्हें सिर्फ बच्चा पैदा करने से मतलब होता है ... चाहे वो अपनी बहन से करे, माँ, बुआ अथवा चाची से...! (यही कारण है कि .. मुस्लिमों को मदरसे में कुरान रटाया जाता है, ना कि समझाया जाता है) .
वहीँ दूसरी तरफ.... हिन्दुओं में शादी, अपने रिश्तेदार तो खैर भूल ही जाओ.... पिछले सात पुश्तों तक को देख कर की जाती है.... परिणामस्वरुप माता-पिता के अलग-अलग गुणसूत्रों (डीएनए) के कारण आने वाले हिन्दू बच्चे में मानसिक विकास का दर काफी उच्च श्रेणी का होता है ...!
और , शायद ये बात मुस्लिम भी समझते हैं कि ... वे तो मुर्ख हैं ही.. उनकी आने वाली नस्लें भी मुर्ख ही पैदा होनी है ....
इसीलिए .... मुस्लिम चोरी, लूटमार, और बेईमानी पर ही आश्रित होते हैं .... और उसी को अपने जीवन का एक मात्र सहारा मानते हैं...!
LAGTA HAI TU AADMI NAHI JAANWAR HAI ...........
हटाएंjaanwar nhi bhai shaitan ka sardar hai
हटाएंहिंदुओं की नस्ल इतनी जबरदस्त है कि शादी ब्याह में आई हुई नाचने वालियों को भी गर्भवती करके ही वापस भेजा। तुम्हारे जैसे ( सिर्फ तुम्हारे जैसे,,अन्य हिन्दू भाई का नही ) लोगों की नस्ल इतनी उच्च कोटि की रही है कि मुठ्ठी भर विदेशियों ने तुम्हें हजारों साल गुलाम रखा। तुम उनकी जूतों को चाटते रहे और लात खाते रहे। ये सब तुम्हारी उच्च कोटि की नस्ल के कारण संभव हो पाया,,इसीलिए दुनिया के भारत को छोड़कर,, तुम्हारी नस्ल कहीं और नही बढ़ पायी। रही बात मुसलमानों के चोर और बेईमान होने की ,तो इसकी सफाई देने की आवश्यकता नही,तुम्हे खुद ही सब मालूम है, केवल नौकरीके ही पता करलो की तुम क्या क्या करते हो। RTI के द्वारा पता कर लो,पाकिस्तान को सबसे ज़्यादा सेना की फाइलें और खुफिया सूचनाएं किसी मुसलमान ने बेची है या किसी उच्च कोटि के नस्ली देशभक्त हिन्दू ने। तुम इतने उच्च कोटि के हिन्दू हो कि तुम्हे यही नही पता कि हिन्दू शब्द का अर्थ क्या है और यह कहां से आया। खैर ,,, इससे ज़्यादा तुम्हारेलिये ठीक नही। अरे हाँ ,तुमने वही मादाओं की बात कही,,ये तो बताओ, तुम्ही कहते हो ना,,की सृष्टि मनु और सतरूपा से बनी,,तो संभोग की क्रिया आगे बढ़ते हुए क्रम में तो सगे भाई बहनों में ही हुई होगी। और तुम भी उसी की उपज हो , आज सात पीढ़ियो की बात कर रहे हो। सोचना तुम्हारे पास टी उच्च कोटि का दिमाग हैं।
हटाएंYe aadmi nahi suar h suar ko shakal ka
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