शनिवार, 30 मई 2009

क्या नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहिंं वसल्लम का जन्म दिवस मनाने का हुक्म हैं?

शरीअत मे जन्म दिवस मनाने की कोई अस्ल (दलील) नहीं है, बल्कि यह बिदअत है। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहिंं वसल्लम का फ़रमान है :- "जो शख्स हमारे इस दीन मे कोई नई चीज़ ईजाद करे तो वह रद्द है" (वह गलत है) मुस्लिम, अबू दाऊद, इब्ने माज़ा, अहमद)

यह बात निश्चित है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहिंं वसल्लम ने अपने जीवन में न तो खुद जन्मदिन मनाया और न ही इस का हुक्म दिया। इसी प्रकार चारों खलीफा और तमाम सहाबा ने भी आप सल्लल्लाहु अलैहिंं वसल्लम के जन्म दिन का आयोजन नहीं किया, हालांकि लोग आप सल्लल्लाहु अलैहिंं वसल्लम की सुन्नत के सबसे बडे आलिम और सबसे बढ कर उससे मोह्ब्बत करने वाले और सबसे ज़्यादा इस्लामी शरीअत की पैरवी करने वाले थे।

शुक्रवार, 29 मई 2009

कब्रों की ज़ियारत किस लिये?

मुझ से यह सवाल हमारे एक भाई ने ई-मेल से पूछा था तो मै उस्का जवाब यहा दे रहा हू ।

सवाल :- कब्रों की ज़ियारत मज़ारों से वसीला लेना और (चढावे के तौर पर) वहां माल और दुंबे आदि ले जाने का क्या हुक्म है? जैसा कि लोग सय्यद अल-बदवी (सुडान में), हज़रत हुसैन बिन अली रज़ि ॒ (इराक में), और हज़रत जैनब रज़ि ॒ (मिस्र) कि कब्रों पर करते हैं । आप जवाब दें, अल्लाह आप के इल्म में बरकत दे । आमीन

जवाब :- कब्रों के ज़ियारत की दो किस्में हैं । पहली किस्म वह है जो कब्र वालों पर रहम व मेह्र्बानी करने, उनके लिये दुआ करने, मौत को याद रखने और आखिरत कि तय्यारी के लिये कि जाये । यह ज़ियारत जाइज़ है और ऐसी ज़ियारत की आवश्यक्ता भी हैं । क्यौंकि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहिंं वसल्लम का फ़र्मान है ।

"कब्रों की ज़ियारत किया करो, इस लिये कि वह तुम्हें आखिरत की याद दिलाती हैं"

सोमवार, 25 मई 2009

Welcome To The "The Holy Quran" Blog...

hello friends...
Welcome to the "The Holy Quran" Blog. I made this blog nine months back but I couldn't continue it because of some personal problems but i"ll continue it. I made it because to change the thinking of the world that Islaam is not the enemy of humanity, it's a religion of peace & humanity.
If you have questions about islaam in your mind just ask to me Inshaallah I'll answer your all questions in light of Quran & True Hadees.



I made this blog because I want remove all dirt which is covering the mind of whole people because of some people's whose named as muslim but in real they are not muslims because islaam not allow to kill peoples.

Thanking You

इस्लाम और कुरआन ब्लॉग मे आपका स्वागत है....

सारे ब्लॉगर भाइयों से दिल से आदाब,

मैंने आज से नौ महीने पहले इस ब्लॉग को बनाया था सोचा था की दुनिया में इस्लाम की धूमिल हो चुकी छवि को मैं शायद कुछ सुधार सकूं,  घर पर लगे इन्टरनेट कनेक्शन के दम पर यह सोचा था लेकिन वो ही ठीक से काम नहीं कर रहा था...
लेकिन अब जाकर इसने काम करना शुरू किया है और इन्शालाह यहाँ पर आप जो भी सवाल पूछेंगे इस्लाम को लेकर उसका सही - सही जवाब कुरआन और हदीस की रौशनी में मैं देने की पूरी कोशिश करूंगा...
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