tag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post5681394395190671605..comments2024-02-16T14:10:14.904+05:30Comments on इस्लाम और कुरआन !!: ईदुल अज़हा, बकरीद और कुरबानी के अहकाम व मसलें.. Matters & Compulsory Works Of Bakrid, Eid-Ul-Azhaकाशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttp://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-80187748090065370482021-07-21T20:26:22.234+05:302021-07-21T20:26:22.234+05:30जब इस्लाम मे हर नया काम बिदअत है, और हर बिदअत गुमर...जब इस्लाम मे हर नया काम बिदअत है, और हर बिदअत गुमराही है,<br />तो जनाब अपना ब्लॉग भी आप बन्द कर दीजिए,<br />ये ब्लॉगिंग उस ज़माने में नही थी,<br />वरना आपही के अक़ीदे के मुताबिक आप जहन्नम में जाओगे।किल्के रज़ाhttps://www.blogger.com/profile/09677022756699886790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-26981314877877544672018-08-13T16:24:30.499+05:302018-08-13T16:24:30.499+05:30السلام علیکم ورحمةالله وبركاته...
کیسی کا گو ہوا ج...السلام علیکم ورحمةالله وبركاته...<br />کیسی کا گو ہوا جانور کیسی مسلم کو مل گیا اور وہ <br /> اس کی ٣سال رکھوالی کیا ہے تو اس جانور کی قر بانی کر سکتا ہے <br />ہمارے اس مسلے کو ہمارے واٹسپ نمبر پر -۔٩١-٩٥٤٦٢٤٩٨٩٤ پر بھیجیں۔۔<br />٩٥٦٤٢٤٩٨٩٤Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16151941485465109830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-84992832327573471662018-08-13T15:54:11.341+05:302018-08-13T15:54:11.341+05:30السلام علیکم و رحمةالله
کسی کا گم ہوا جانور کیسی...السلام علیکم و رحمةالله <br /><br />کسی کا گم ہوا جانور کیسی مسلم کو مل گیا ہے تو اس کی قربانی کر سکتا ہے ؟؟Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16151941485465109830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-68680623422727743542018-08-03T14:33:30.546+05:302018-08-03T14:33:30.546+05:30औरतो पर क़ुरबानी कब वाजिब हैऔरतो पर क़ुरबानी कब वाजिब हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05667064975550571332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-86745342275116908102018-06-02T20:04:52.736+05:302018-06-02T20:04:52.736+05:30Qurbani k bajaye qurbani me lagne wale paise ( kha...Qurbani k bajaye qurbani me lagne wale paise ( kharch ) ki gareeb ya jaroorat mand ko de to shayad ye achi soch ho..<br />Its my opinion.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14971664152886056439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-80189143260005620342011-11-06T11:57:17.350+05:302011-11-06T11:57:17.350+05:30काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif साहब, बकरीद पर कुछ बात कर...काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif साहब, बकरीद पर कुछ बात करने के लिए साइट पर आपका फोन नंबर तलाश रहा था. नहीं मिला.<br />ranjan.rajn@gmail.comरंजन राजनhttps://www.blogger.com/profile/03646063513055002728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-22907778581416754832011-03-24T11:16:27.615+05:302011-03-24T11:16:27.615+05:30मैंने तो पढ़ा है कि कुर्बानी का अर्थ त्याग और दान ...मैंने तो पढ़ा है कि कुर्बानी का अर्थ त्याग और दान से है, न कि किसी जानवर को काटने से। जो मैंने पढ़ा है, क्या वो गलत है? गलत है या सही, कृपया रौशनी डालें।<br /><br />ms.aamin@gmail.com<br />mydunali.blogspot.comAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13342084356954166189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-91814967642120383182010-09-24T11:36:39.714+05:302010-09-24T11:36:39.714+05:30bhai kashif aapne bakrid ke jo jaruri ahkam bataye...bhai kashif aapne bakrid ke jo jaruri ahkam bataye hai wo to thik hai par bakrid teen din ki hoti hai 10 jilhjja se 12 jilhijja tak 13 ko nahatiqhttps://www.blogger.com/profile/18152154449760705537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-89698261704198166982009-12-07T02:00:27.804+05:302009-12-07T02:00:27.804+05:30अस्सलाम अल्लैकुम, आप का ब्लॉग देखा बहुत खूब! भाई आ...अस्सलाम अल्लैकुम, आप का ब्लॉग देखा बहुत खूब! भाई आप ने अपनी जो तस्वीर लगा राखी है.आपका ब्लॉग में कोई तवाजुन नहीं है! ऐसा क्यों?????आपके ब्लॉग का लिंक अपने यहाँ दे रहा हूँ.<br />अल्लाह हाफिज़talib د عا ؤ ں کا طا لبhttps://www.blogger.com/profile/17822811849562202321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-8588236561372907182009-11-28T19:20:53.487+05:302009-11-28T19:20:53.487+05:30गिरी जी,
मुझे आपकी अक्ल पर हंसी आ रही है और तरस भ...<b>गिरी जी,<br /><br />मुझे आपकी अक्ल पर हंसी आ रही है और तरस भी आ रहा है.......अब ये सोच रहा हूं की पहले तरस खांऊ या पहले हंसु....<br /><br />जनाबे मैनें भिखारियों की बात की है मेहमानों की नही.......<br /><br />आपने कभी देखा है की किसी गैर-मुस्लिम मेहमान को कभी कच्चा गोश्त दिया गया है....कि घर जाकर पका लेना.....गैर-मुस्लिम को क्या कभी किसी मुस्लिम मेहमान को भी कच्चा गोश्त नही दिया जाता है.......<br /><br /><br />मैंने उन लोगों का ज़िक्र किया है जो घर-घर जाकर मांगते है और गोश्त जमा कर लेते है....<br /><br />जनाब विवाद भी दिमाग से पैदा किये जाते है...जिनके पिछे वाजिब वजह होनी चाहिये....</b>काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-37300669418376221032009-11-27T19:13:38.155+05:302009-11-27T19:13:38.155+05:30बहुत अच्छी जानकारी इसके लिये बहुत-बहुत शुक्रिया..!...बहुत अच्छी जानकारी इसके लिये बहुत-बहुत शुक्रिया..! मैं काफ़ी दिनों से एक सवाल का जवाब तलाश रही थी की <br /><br />"क्या औरतें कुरबानी कर सकती है??"<br /><br />इसका जवाब आपके इस लेख पर मुझे मिल गया...<br /><br />बहुत-बहुत शुक्रियाKehkashanhttps://www.blogger.com/profile/12235746585399096948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-67757049196081330812009-11-27T18:11:51.112+05:302009-11-27T18:11:51.112+05:30इसके अलावा बहुत से मज़ह्बों के पेशेवर भिखारी घर घर ...इसके अलावा बहुत से मज़ह्बों के पेशेवर भिखारी घर घर पहुंच कर गोश्त का अच्छा खासा ज़खीरा कर लेते हैं। इससे होता यह है कि कुर्बानी के गोश्त का एक बडा हिस्सा बेकार जगहों पर इस्तेमाल हो जाता है जिसकी वजह से वह गरीब और ज़रुरतमंद महरुम रह जाते हैं जो मांगने में शर्म महसुस करते हैं। आम मुसलमानों तक गोश्त पंहुचाने की ज़हमत से यह भिखारी बचा लेते हैं और अगर कुर्बानी करने वाले को गरीबों से हमदर्दी और मुह्ब्बत का जज़्बा ना हो तो बात और तकलीफ़ देने वाली हो जाती हैं। ईदुल अज़हा में छुपा हुऐ कुर्बानी के ज़ज़्बे का मकसद तो यह है कि इसका फ़ायदा गरीबों तक पंहुचें, उनको अपनी खुशी में शामिल करने का खास इंन्तिज़ाम किया जायें, ताकि उस एक दिन तो कम से कम उनको अपने नज़र अंदाज़ किये जाने का एहसास न हो और वह कुर्बानी के गोश्त के इन्तिज़ार में दाल चावल खाने पर मजबूर न हों।Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-17949407573358545822009-11-27T17:18:02.606+05:302009-11-27T17:18:02.606+05:30SABHI KO BAHUT BAHUT EID MUBARAK
ZINDABAAD
LAGE R...SABHI KO BAHUT BAHUT EID MUBARAK<br />ZINDABAAD <br />LAGE RAHO........सहसपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/09067316996435869621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-27214645614716247572009-11-27T17:07:11.356+05:302009-11-27T17:07:11.356+05:30उमर भाई, उन लोगों को तो मैने जवाब दे ही दिया है......<b>उमर भाई, उन लोगों को तो मैने जवाब दे ही दिया है....<br /><br />मैं कोई मौलाना नही हूं भाई और बनने का कोई इरादा भी नही है...हम तो बस जो जानकारी हमें है वो और लोगों से बाटं लेते है </b>काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7851354575836120402.post-72524814739779491672009-11-27T15:18:11.345+05:302009-11-27T15:18:11.345+05:30वाह भई काशिफ़ मेरा नाम मौलाना तो खामखाह रख दिया गय...वाह भई काशिफ़ मेरा नाम मौलाना तो खामखाह रख दिया गया इस उपाधि के असल हकदार तो आप हो, मुस्लिम भाईयों के लिए उचित समय पर जानकारी दी हैं आपने, अल्लाह आप को जन्नत नसीब करे, काबे की तरफ मुँह करके नमाज़ पढते रहना सबको बताते भी रहना कि हम अमरीका में होंगे तो अलग रूख से नमाज़ पढेंगे, आस्टेलिया में अलग तरफ होगा, बहुत से भाई यह समझते हैं हम पश्चिम की तरफ रूख करके नमाज़ पढते हैंMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.com